*जो मांस नहीं खाएगा वह 21 बार पशु योनी में पैदा होगा-मनुस्मृति (5/35)*
*मनुस्मृति जिसमें लिखा गया है कि किसी भी स्त्री के विधवा होने पर उसके बाल काट दो, सफेद वस्त्र पहना दो और उसे खाने को केवल इतना दिया जाए कि वह मात्र जीवित रह सके अर्थात उस अबला विधवा नारी को हड्डियों का पिंजर मात्र बना दिया जाए।*
*इसके अनुसार किसी विधवा को पुनर्विवाह करना पाप माना गया है। याद रहे, ऐसे ही पुराणों की शिक्षाओं के कारण हमारे देश में वेश्यावृति और सति प्रथा ने जन्म लिया था। इसी प्रकार कुछ अन्य ब्यवस्थवादी ग्रंथों ने औरतों व दलितों के साथ घोर अन्याय करने की शिक्षा दी और हकीकत यह है कि इसी अन्याय के कारण भारतवर्ष को एक बहुत लंबी गुलामी का सामना करना पड़ा। और आज भी ब्यवस्थवादीयो को हजम नही हो रहा है कि स्त्री और शूद्र सम्मान पूर्वक जीवन यापन करे तरह तरह के षड़यंत्र रचते रहते है और आए दिन भारतवर्ष में मनुस्मृति के अनुसार ब्यवहार किया जा रहा है➡
उदाहरण के लिए*
*मनुस्मृति(100) के अनुसार पृथ्वी पर जो कुछ भी है, वह ब्राह्मणों का है।*
*मनुस्मृति(101) के अनुसार दूसरे लोग ब्राह्मणों की दया के कारण सब पदार्थों का भोग करते हैं।*
*मनुस्मृति (11-11-127) के अनुसार मनु ने ब्राह्मणों को संपत्ति प्राप्त करने के लिए विशेष अधिकार दिया है। वह तीनों वर्णों से बलपूर्वक धन छीन सकता है अर्थात चोरी कर सकता है।*
*मनुस्मृति (4/165-4/१६६) के अनुसार जान-बूझकर क्रोध से जो ब्राह्मण को तिनके से भी मारता है, वह 21 जन्मों तक बिल्ली की योनी में पैदा होता है।*
*मनुस्मृति (5/35) के अनुसार जो मांस नहीं खाएगा, वह 21 बार पशु योनी में पैदा होगा।*
*मनुस्मृति (64 श्लोक) के अनुसार अछूत जातियों के छूने पर स्नान करना चाहिए।*
*ब्यवस्थवादी (मनुस्मृति) धर्म सूत्र(2-3-4) के अनुसार यदि शूद्र किसी वेद को पढ़ते सुन लें तो उनके कान में पिघला हुआ सीसा या लाख डाल देनी चाहिए।*
*मनुस्मृति (8/21-22) के अनुसार ब्राह्मण चाहे अयोग्य हो, उसे न्यायाधीश बनाया जाए वर्ना राज्य मुसीबत में फंस जाएगा। इसका अर्थ है कि भूत पुर्व में भारत के उच्चत्तम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री अलतमस कबीर साहब को तो रखना ही नही चाहिये था !*
*मनुस्मृति (8/267) के अनुसार यदि कोई ब्राह्मण को दुर्वचन कहेगा तो वह मृत्युदंड का अधिकारी है।*
*मनुस्मृति (8/270) के अनुसार यदि कोई ब्राह्मण पर आक्षेप करे तो उसकी जीभ काटकर दंड दें।*
*मनुस्मृति (5/157) के अनुसार विधवा का विवाह करना घोर पाप है।* *विष्णुस्मृति में स्त्री को सती होने के लिए उकसाया गया है !*
*मनुस्मृति में दहेज देने के लिए प्रेरित किया गया है।*
*देवल स्मृति में तो किसी को भी बाहर देश जाने की मनाही है।*
*मनुस्मृति में बौद्ध भिक्षु व मुंडे हुए सिर वालों को देखने की मनाही है।*
*मंस्मृति (3/24/27) के अनुसार वही नारी उत्तम है, जो पुत्र को जन्म दे।*
*(35/5/2/४7) के अनुसार पत्नी एक से अधिक पति ग्रहण नहीं कर सकती, लेकिन पति चाहे कितनी भी पत्नियां रखे।*
*(1/10/51/ 52), बोधयान धर्मसूत्र (2/4/6), शतपथ ब्राह्मण (5/2/3/14) के अनुसार जो स्त्री अपुत्रा है, उसे त्याग देना चाहिए।*
*मनुस्मृति(6/6/4/3) के अनुसार पत्नी आजादी की हकदार नहीं है।*
*मनुस्मृति (शतपथ ब्राह्मण) (9/6) के अनुसार केवल सुंदर पत्नी ही अपने पति का प्रेम पाने की अधिकारी है।*
*बृहदारण्यक उपनिषद् (6/4/7) के अनुसार अगर पत्नी संभोग करने के लिए तैयार न हो तो उसे खुश करने का प्रयास करो। यदि फिर भी न माने तो उसे पीट-पीटकर वश में करो।*
*मैत्रायणी संहिता(3/8/3) के अनुसार नारी अशुभ है। यज्ञ के समय नारी, कुत्ते व शूद्र को नहीं देखना चाहिए अर्थात नारी व शूद्र कुत्ते के समान हैं।*
*मनुस्मृति (1/10/11) के अनुसार नारी तो एक पात्र(बर्तन) के समान है।*
*महाभारत(12/40/1) के अनुसार नारी से बढ़कर अशुभ कुछ भी नहीं है। इनके प्रति मन में कोई ममता नहीं होनी चाहिए।*
उपर्युक्त सभी बातें बहुत ही गहराई से चिन्तन करने योग्य हैं |
जब हम सब इन विषम परिस्थितियों से जूझ रहे थे |महिलाओं तथा शूद्रों पर घोर अन्याय तथा अत्याचार हो रहे थे . तब 33 करोड़ देवी और देवता कहॉ थे | हमारे ऊपर हो रहे अन्याय तथा अत्याचार का सामना करने अपने जान की बाजी लगाकर गर कोई आया था तो वह थे बाबा साहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर |उन्होने अपने ग्यान की ताकत से महिलाओं तथा शूद्रों को 5000 वर्ष की गुलामी से मुक्ति दिलाई |लेकिन हम भी ठहरे खुदगर्ज आज उनको भुलाकर 33 करोड़ देवी देवताओं कोपूजते हैं जो हमारे संकट के समय अपनी सूरत तक नहीं दिखाई |अाज भी इन ब्राह्मणवादियों तथा मनुवादियों के द्वारा बिछाए गए मकड़जाल में उलझ कर हम अपनी दुनियॉ की सबसे कीमती वस्तु यानि समय , धन और मेहनत का दुरूपयोग करते चलें आ रहें हैं |हमें इन ब्राह्मणवादी मनुवादी व्यवस्थाओं, 33करोड़ देवी देवताओं, पूजा पाठ , पाखण्डियों तथा आडम्बरोंं को अपने जीवन से मक्खियों की तरह निकाल कर फेंक देना चाहिए |एक छोटा बच्चा भी होता है अगर एक व्यक्ति बच्चे को खूब प्यार दुलार करे और दूसरा व्यक्ति उसी बच्चे को अगर प्यार दुलार करने के बजाय मारे डॉटे तो वह बच्चा पहले व्यक्ति के पास रहना चाहेगा , दूसरे व्यक्ति के पास नहीं |क्या हमारी सोच एक नासमझ बच्चे से भी बदतर हैै | यही बात कुत्तों पर भी लागू होती है |प्यार दुलार करने वाले व्यक्ति ं के पास कुत्ता अपना दुम हिलाते हुए अा जाता है और मारने वाले व्यक्ति को देखते ही दुम उठाकर भाग जाता है |क्या हमारी समझ अावारा कुत्तों से भी बदतर है |जो लोग हमें हजारों वर्षों तक गुलाम बनाए रखे, महिलाओ तथा शूद्रों को प्रताड़ित करते रहे ,उनसे दूरी बनाए रखने के बजाय चिपकते जा रहें हैं |
नोट➡ *यह जानकारी हिन्दू धर्म ग्रंथों से लिया गया है जिसे कोई संदेह हो वह हिन्दू (ब्यवस्थावादी धर्म) को पढ़ सकते है अगर धर्म ग्रंथ नही पढ़ सकते है तो श्री के. एन. संत जी की लिखी ➡संबिधान वनाम हिन्दू धर्म शास्त्र अवश्य पढ़े*
by sonu singh gautam
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