दुध पिलाया जिसने छाती से निचोड़कर
मैं "निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।
बुढापे का "सहारा,, हूँ उसका "अहसास" दिला न सका
पेट पर सुलाने वाली को "मखमल, पर सुला न सका ।
वो "भूखी, सो गई "बहू, के "डर, से एक बार मांगकर
मैं "सुकुन,, के "दो, निवाले उसे खिला न सका ।
नजरें उन "बुढी, "आंखों से कभी मिला न सका ।
वो "दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।
जो हर "जीवनभर" "ममता, के रंग पहनाती रही मुझे
उसे "दिवाली पर दो "जोड़ी, कपडे सिला न सका ।
"बिमार बिस्तर से उसे "शिफा, दिला न सका ।
"खर्च के डर से उसे बड़े अस्पताल, ले जा न सका ।
"माँ" के बेटा कहकर "दम,तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ,
"दवाई, इतनी भी "महंगी,, न थी के मैं ला ना सका ।
by sonu singh gautam
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